आत्मविश्वास से लबरेज ओपी चौधरी जनता की पसंद हैं पर जो जनता चाह रही है वह उनके अपने नहीं होने देना चाह रहे। उनकी वर्तमान की गतिविधियों ने खासा असर नहीं डाला। ओपी फिर से उन्हीं लोगों से घिर गए हैं जो उन्हें और उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। कई नेता उन्हें हाईजैक करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
ओपी पार्टी नेताओं से मिल रहे है यह उनकी मासूमियत है या फिर उनके सिपहसालारों की कुटिल चाल की बैठे बिठाए मनभेद हो जा रहा है। दरअसल उन्होंने मिलनी के जिस क्रम को चुना उसमें हाईरेरकी फॉलो नहीं हुईं। यह भले ही छोटी बात हो पर चुनावी समय में ईगो हर्ट करने के लिए पर्याप्त हैं। संभवतः इसमें उनकी कोई गलती नहीं है पर उनके साथ रह रहे कुछ लोग उनकी गोभी खोदने पर आमादा है।
शायद ओपी 2018 के चुनाव की समीक्षा में भीतरघातियों से सावधान का अध्याय नहीं पढ़ पाए। यह खुशफहमी घातक सिद्ध हो सकती है। प्रदेश में भाजपा का प्रचार और बड़े नेता के रूप में उभार होने से कहीं ज्यादा खुद के लिए चुनाव लड़ना वो भी ऐसी सीट से जहां उनको पल-पल गच्चा देने वाले मौजूद हैं। ओपी और वो (जिनका पत्ता काटा या फिर कहें राजनीति करियर हाशिये पर डाला) की नकली मुस्कुराहटों से मुलाकातों की चर्चा भी जोरों पर है। उनकी शुरुआती घेराबंदी उनके अपनों ने ही की है। जिस गर्मजोशी से स्वागत हुआ वही गर्मजोशी आग फूंक रही है। फिर चाहे कोलता-मारवाड़ी गठबंधन हो या फिर बाहरी वाली हवा। उनसे भितरघाती नहीं पहचाने जा रहे जो बेवजह एक के बाद एक विवाद खड़े करने पर आमादा है।
9 अक्टूबर को आचार संहिता की घोषणा होने के कुछ देर बाद आप चौधरी को रायगढ़ से विधानसभा का उम्मीदवार बना दिया गया इस घटना को सप्ताह भर बीत चुके हैं वह भी रायगढ़ में डेरा डाल चुके हैं और जय सिंह तालाब के किनारे अपने नए दफ्तर से मुरली धुन बजा रहे। इन 6 दिनों में उनका चलते-फिरते भेंट मुलाकात काफी चर्चित रहा है जिसमें वह प्री प्लानिंग तहत जगह तय कर लोगों से मिल रहे हैं। राजनीतिक समीक्षको का मानना है कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद अभी तक चुनाव संचालन समिति नहीं बनी और बिना कार्य योजना, बिना रणनीति के किसी प्रत्याशी का अपने विधानसभा क्षेत्र में जाना वास्तव में उनके कम तैयारी को बताता है। जबकि उनके पास पर्याप्त दूरदर्शिता,योग्यता और सक्षमता है। हालांकि आने वाले समय में प्रचार रफ्तार पकड़ेगी।
ज्यादा नजदीकियां ओपी पर भारी
स्थानीय कार्यकर्ताओं में खरसिया से एक कार्यकर्ता के द्वारा रायगढ़ विधानसभा की एक बैठक ली गई थी जिसमें काफी रोष है। हालांकि ओपी कभी नहीं चाहते थे कि वह नेता यहां पर आए। ज्यादा नजदीकी दिखाने के अति उत्साह ने ओपी का नुकसान करवा दिया। इन द नेम ऑफ ओपी से कई लोग जानकर ऐसा खेल खेलकर ओपी की छवि पर बट्टा लगा रहे हैं।
अंततःओपी आत्मविश्वास से लबरेज है और पहली विधायकी के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देंगे। उनकी काबलियत पर किसी कोई शक या दोराय नहीं है पर उनके करीबी मसला जरूर हैं।
वहीं कांग्रेस से सिटिंग एमएलए प्रकाश नायक ने इस बार संघर्ष को देखते हुए काफी पहले से ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क कर रहे हैं।