जिला पंचायत अध्यक्ष और घरघोड़ा उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर भाजपा में मचा रार
नगरीय निकाय के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे आने के साथ ही अब साढ़े तीन साल तक बिना किसी चुनाव के सरकार कार्य करेगी। अधिकतर जगहों पर ट्रिपल इंजन की जगह टेट्रा इंजन की सरकार है। रायगढ़ के गांव से लेकर देश तक भाजपा का पहली बार परचम बुलंद हुआ है। ऐसा पहली बार हुआ है कि भाजपा के ही लोग सोशल मीडिया पर संगठन पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब अति बहुमत होते हुए कांग्रेसी पद ले जाए। यह भी पहली बार हुआ है कि जब संगठन अपने कद्दावर नेताओं का नाम ले रहा था तो हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए नेता की पत्नी को पद देकर सब को चौंका दिया। वो भी तब जब पार्टी ने खुद एक चायवाले कार्यकर्ता को महापौर के लिए मौका दिया था।
भाजपा जीत के रथ पर सवार है और उसकी आंधी में उसे आशा से अधिक सफलता मिली पर इस जीत में जब संगठन के ही लोग सवाल करें तो भाजपा की अंदरूनी खेमेबाजी स्पष्ट रूप से दिखने लग गई है। पार्टी के कार्यकर्ता ही अब पार्टी पर चुनिंदा लोगों के कब्जे और उनकी आवाज को दबाने का आरोप लगा रहे हैं। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अब संगठन में ऐसे लोगों का वर्चस्व हो चला है जो कभी कांग्रेसी थे या फिर भाजपा से दूर थे। पार्टी कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना में है और यहां रायगढ़ में पार्टी कांग्रेस युक्त संकल्पना कर रही है।
घरघोड़ा में भाजपा के 9 पार्षद होते हुए 4 पार्षद वाली कांग्रेस का उपाध्यक्ष चुने जाने से भाजपा संगठन में ही उठापटक, आरोप-प्रत्यारोप लगाया जाने लगा है। घरघोड़ा नगर पंचायत अध्यक्ष भी भाजपा गवां चुकी है। सोशल मीडिया पर नेता पार्टी पर सीधे आरोप लगा रहे हैं।
भाजपा नेता दिनेश गोरख ने लिखा- खरसिया जीतने के चक्कर में घरघोड़ा हार रहे है लगातार... विचार करो जिला भाजपा के पदाधिकारीगण।
पंकज ठाकुर समारूमा ने लिखा- अपनी घर भी नहीं बचा पाए सत्ताधारी जिलाध्यक्ष सांसद जी बधाई नगर पंचायत उपाध्यक्ष घरघोड़ा।
उपाध्यक्ष का पद हारे सुनील सिंह ठाकुर ने लिखा – घरघोड़ा क्षेत्र के गद्दार पार्षद और उनको प्रोत्साहित करने वाले दिग्गज भाजपा नेताओं को गद्दारी मुबारक,,,किसी को नीचा दिखाने के लिए पार्टी का बेड़ा गर्क कर रहे है। इस पोस्ट पर संघ परिवार के अजय अग्रवाल ने जवाब दिया – 2014 के घरघोड़ा नगर पंचायत चुनाव में भी ऐसा हुआ था क्या, किसी को मालूम है क्या उस समय भी बीजेपी ने ही बीजेपी को हराया था। विदित हो कि 2014 में सुनील ने अपनी पत्नी को टिकट नहीं मिलने पर उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़वाया और पार्टी के लिए वोट कटुवा साबित हुए थे।
जिला पंचायत का समीकरण संगठन पर भारी
जिस पार्टी का हर कार्यकर्ता अपने आप में दमखम रखता है जो पार्टी अपने अनुशासन के लिए जानी जाती है जहां शार्ट कट नहीं होता उस भाजपा की रायगढ़ इकाई में यह सब कुछ हो रहा। लोगों ने डीडीसी चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को इतना आशीर्वाद दिया कि 18 में से 16 जीतकर आए और एक बाद में शामिल हो गया। अब 17 सीटें भाजपा के पास थी तो उसके पास संगठन के लिए समर्पित प्रत्याशी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बैठाना था। डेढ़ दशक से भाजपा की सक्रिय राजनीति करने वाली रजनी राठिया, शांता भगत और तीन दशक से सक्रिय सुषमा खलको में से किसी एक के नाम पर मुहर लगनी थी। संगठन के लोगों ने पर्यवेक्षक को बकायदा इनमें से ही नाम भी दिया पर अति दूरदृष्टि और मुगालतों के समीकरण ने हाल ही में कांग्रेस से आए नेता की पत्नी को पद दे दिया। हालांकि संगठन ने यह निर्णय काफी सोच समझ कर लिया होगा पर वह अपने लोगों को मनाने कितनी सफल हुई यह आने वाला समय बताएगा।
फिलहाल संगठन में कोहराम मचा हुआ है। 6 मार्च की दोपहर को जिला पंचायत के बाहर ही जो थोड़े बहुत कार्यकर्ता आए थे वो भी आलाकमान के निर्णय से नाखुश दिखे। सिवाए अफसोस के वह कर भी क्या सकते थे पर इतना जरूर कह रहे थे कि अब उनका पार्टी से मोह भंग हो गया है। टेंट, तंबू और दरी वे लगाएं कि जब उनके लोगों के लिए अवसर आए तब समीकरण हावी हो गया। यह वह भाजपा नहीं रह गई।
संगठन के फैसले से स्तब्ध भाजपाई
6 मार्च को भाजपा समर्थित सभी डीडीसी चक्रधर नगर क्षेत्र के एक रेस्टोरेंट में एकत्रित थे। सुबह 10:00 बजे पर्यवेक्षक विकास महतो ने जैसे ही लिफाफा खोला उसमें वही नाम था जो पिछले कई दिनों से रायगढ़ की मीडिया में तैर रहा था और इसी नाम पर डीडीसी की नामांकन रैली में भाजपा के दिग्गजों ने ओके किया था। लेकिन भाजपा के बाकी डीडीसी को लग रहा था कि संगठन की लाइन पर चलने से ही गनीमत है, मीडिया में ज्यादा ना आए पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो नाम पहले से बताया गया था वही लिफाफे से निकला। जैसे ही नाम की घोषणा हुई किसी की आंखों में आंसू थे तो कोई कुछ बोला नहीं, कोई फोन पर अपनों पर भड़ास निकाल रहा था तो कोई स्तब्ध। कुल मिलाकर संगठन के इस फैसले से हर कोई चकित था।
भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत जिनकी पत्नी शांता भी डीडीसी हैं। शांता के पिता पनत राम भगत दो बार के डीडीसी रहे हैं ऐसे में उनका नाम आगे न आना आश्चयर्जनक है। रवि पर्यवेक्षक के सामने चुपचाप निकले पर सोशल मीडिया में उसके बाद एक रील डालते हैं - द्रोणा जईसन गुरु चले गए गे, करन जैसे दानी, बाली जस वीर चले गए, रावण जस अभिमानी..चोला माटी के राम।
फिर वह लिखते हैं - मैं अड़ियल हूं सच के खातिर, मैं जिद्दी हूं हक के खातिर, मैं लड़ता हूं जनहित के लिए, इतनी तो मेरी गलती है।
रवि के पोस्ट बिन बोले सब कह रहे हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष पर आरोपों की बरसात
भाजपा जिलाध्यक्ष अरुणधर दीवान को भी अध्यक्ष पद संभाले ज्यादा समय नहीं हुआ है पर अभी से ही उनके फैसलों को लेकर भाजपा संगठन में ऱार मच गया है। घरघोड़ा नगर पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा के बहुमत होने के बाद भी पार्टी की हार हुई। संगठन के लोग ही उन पर मनमानी का आरोप लगा रहे थे पर यह बात उपाध्यक्ष चुनाव के नतीजे आने के बाद सार्वजनिक हो गई। उन पर आरोपों की बौछार होने लगी है। उन पर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव तक अपनी मनमानी के आरोप संगठन के लोगों ने ही लगाया है।